विंग कमांडर निकिता पांडेय का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सेवा समाप्त करने पर लगाई रोक
नई दिल्ली, 24 मई 2025 — भारतीय वायुसेना की अधिकारी विंग कमांडर निकिता पांडेय के स्थायी कमीशन (Permanent Commission) की मांग को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और वायुसेना को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक निकिता पांडेय को सेवा से मुक्त न किया जाए।
निकिता पांडेय ने वर्ष 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के माध्यम से वायुसेना में प्रवेश किया था। उन्होंने ऑपरेशन बालाकोट और हाल ही में चर्चित ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके बावजूद, 13.5 वर्षों की सेवा के बाद भी उन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया, जिसके विरोध में उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि SSC अधिकारियों की भर्ती और करियर की अनिश्चितता भारतीय सशस्त्र बलों के दीर्घकालिक हित में नहीं है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि समान अवसर और निष्पक्ष नीति न केवल अधिकारियों के मनोबल के लिए, बल्कि सैन्य सेवाओं की गुणवत्ता के लिए भी आवश्यक हैं।
निकिता पांडेय का मामला अब उन दर्जनों महिला अधिकारियों के लिए एक मिसाल बनता जा रहा है, जो वर्षों की सेवा के बावजूद स्थायी कमीशन से वंचित हैं। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सेना की कई महिला SSC अधिकारियों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की भूमिका और अधिकारों को नई दिशा दे सकता है।
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